कान में सुराख/बहरापन/टिनिटस/ कान का बहना …..
इस समस्या को कान के पर्दे में छेद होना (Ruptured Eardrum) कहते हैं. जिसे अंग्रेजी में perforated eardrum भी कहा जाता है. गंभीर मामलों में पीड़ित की सुनने की क्षमता हमेशा के लिए जा सकती है. कान में संक्रमण – कान के पर्दे में छेद होने का सबसे आम कारण इंफेक्शन है, जो कि बुजुर्ग से लेकर बच्चों के अंदर तक देखा जाता है।
टिनिटस….
मरीज़ द्वारा कान में गुंजन या किसी अतिरिक्त ध्वनि के अनुभव करने को टिन्निटस कहते हैं। टिन्निटस से ग्रसित मरीज़ इसका वर्णन अक्सर लगातार या रह-रह कर गूंजने की, सीटियाँ बजने की, चहचहाने की या फ़ुफ़कारने की ध्वनियों के रूप में करते हैं। कुछ मरीज़ अपने कानों में व्हूश जैसी, भिनभिनाने जैसी इत्यादि और भी आवाजें सुन सकते हैं। टिन्निटस एक या दोनों कानों को प्रभावित कर सकता है।

कानों में सुनाई देने वाली ध्वनियाँ धीमे से लेकर बहुत तेज़ हो सकती हैं और उनके स्वरमान (pitch) और तीव्रता (volume) या तो लगातार एक समान या परिवर्तनशील हो सकते हैं। आवाजों से होने वाली परेशानी तब ज्यादा महसूस होती है जब मरीज़ ऐसे शांत वातावरण में सोने या कार्य करने की कोशिश कर रहा हो जहां पार्श्व ध्वनियाँ कम हों। इसके विपरीत कुछ मरीज़ ध्वनि के प्रति अतिसंवेदनशील बन जाते हैं जिसे हाइपरऐक्यूसिस (hyperacusis) कहते हैं।
हालांकि टिन्निटस के कारण प्रत्यक्ष रूप से श्रवण हानि नहीं होती लेकिन यह ध्यान देने व सुनने की क्षमताओं को निश्चित ही बाधित कर सकता है। यदि इस समस्या पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाए तो इससे मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
हमारे कान का भीतरी हिस्सा शरीर का संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है, ध्वनि के संग्राहक (receptor) के रूप में कार्य करता है और मस्तिष्क तक सिग्नलों को संप्रेषित करता है। शोर भरी ध्वनियाँ यदि बहुत तेज़ हों तो वे कान के भीतरी हिस्से की ध्वनि के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं को अस्थाई या कभी-कभी स्थाई रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं।
कान के भीतरी हिस्से से ध्वनि के संचालन में या केन्द्रीय स्नायुतंत्र (Central Nervous System) द्वारा ध्वनि के प्रसंस्करण (processing) में परेशानी होने के कारण टिन्निटस हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति टिनिटस यानी कान बजने का शिकार हो गया है तो उन्हें उन लक्षणों को पहचानना होगा, क्योंकि कई बार लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जिससे बीमारी लंबे समय चलती है। इस बीमारी का सामान्य लक्षण है कि कान में तेजी से घंटियां बजती हैं और तेज सिरदर्द होता है। इसके अलावा कान में झनझनाहट होती है।
अगर आपके कान बज रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आप टिनीटिस के शिकार हो गए हैं। बेहतर है कि तुरंत इसके लक्षणों को पहचानकर इलाज कराएं , वरना कानों के सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

टिन्निटस क्या है?
मरीज़ द्वारा कान में गुंजन या किसी अतिरिक्त ध्वनि के अनुभव करने को टिन्निटस कहते हैं। टिन्निटस से ग्रसित मरीज़ इसका वर्णन अक्सर लगातार या रह-रह कर गूंजने की, सीटियाँ बजने की, चहचहाने की या फ़ुफ़कारने की ध्वनियों के रूप में करते हैं। कुछ मरीज़ अपने कानों में व्हूश जैसी, भिनभिनाने जैसी इत्यादि और भी आवाजें सुन सकते हैं। टिन्निटस एक या दोनों कानों को प्रभावित कर सकता है।
कानों में सुनाई देने वाली ध्वनियाँ धीमे से लेकर बहुत तेज़ हो सकती हैं और उनके स्वरमान (pitch) और तीव्रता (volume) या तो लगातार एक समान या परिवर्तनशील हो सकते हैं। आवाजों से होने वाली परेशानी तब ज्यादा महसूस होती है जब मरीज़ ऐसे शांत वातावरण में सोने या कार्य करने की कोशिश कर रहा हो जहां पार्श्व ध्वनियाँ कम हों। इसके विपरीत कुछ मरीज़ ध्वनि के प्रति अतिसंवेदनशील बन जाते हैं जिसे हाइपरऐक्यूसिस (hyperacusis) कहते हैं।
हालांकि टिन्निटस के कारण प्रत्यक्ष रूप से श्रवण हानि नहीं होती लेकिन यह ध्यान देने व सुनने की क्षमताओं को निश्चित ही बाधित कर सकता है। यदि इस समस्या पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाए तो इससे मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
हमारे कान का भीतरी हिस्सा शरीर का संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है, ध्वनि के संग्राहक (receptor) के रूप में कार्य करता है और मस्तिष्क तक सिग्नलों को संप्रेषित करता है। शोर भरी ध्वनियाँ यदि बहुत तेज़ हों तो वे कान के भीतरी हिस्से की ध्वनि के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं को अस्थाई या कभी-कभी स्थाई रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं।
कान के भीतरी हिस्से से ध्वनि के संचालन में या केन्द्रीय स्नायुतंत्र (Central Nervous System) द्वारा ध्वनि के प्रसंस्करण (processing) में परेशानी होने के कारण टिन्निटस हो सकता है।

टिन्निटस के कारण
- कान का इन्फेक्शन
- साइनस इनफेक्शन
- मैल जमा होने के कारण कानों का बंद होना
- मैनीएरेज़ रोग (Meniere’s disease)
- वृद्धावस्था
- शोर भरी आवाजों के लगातार संपर्क में आना
- शोर भरी आवाजों के अचानक संपर्क में आना
- सर या गर्दन की चोट
- VIII कपाल तंत्रिका (VII cranial nerve) को प्रभावित करने वाला ट्यूमर
- ऐस्पिरिन (aspirin), क्विनाइन (quinine) और क्लोरोक्वाइन (chloroquine) के, कुछ शामक दवाओं, ऐण्टि डिप्रैसैण्ट दवाओं, दर्द निवारक दवाओं, ऐण्टिबायोटिक दवाओं तथा डायुरैटिक दवाओं के दुष्प्रभाव
- जबड़ों के नुकसान के कारण हुआ जोड़ों का टैंपोरोमैंडिब्युलर (temporomandibular) विकार
- ऑटोस्क्लैरौसिस (otosclerosis) – एक ऐसी स्थिति जिसमें कान के भीतरी हिस्से की छोटी हड्डियां अचल बन जाती हैं
- हाइपोथाइरॉएडिज़्म (hypothyroidism), मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ऐनीमिया (anaemia), हृदय संबंधी समस्याओं, ऑटोइम्यून विकारों (autoimmune disorders) और रक्तवह तंत्र के विकारों (circulatory disorders) जैसी चिकित्सकीय समस्याएं
- अत्यधिक तनाव एवं थकान
- शराब या कैफी़नयुक्त पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन तथा सिगरेट पीना टिन्निटस के मरीज़ की हालत को बिगाड़ सकते हैं
- माइग्रेन का सरदर्द
टिन्निटस के कई कारण हैं। कभी यह स्वतंत्र रूप से होने वाली एक ही समस्या हो सकती है जो उत्प्रेरित हो या फिर किसी आधारभूत चिकित्सा समस्या की सूचक भी हो सकती है। उस चिकित्सा समस्या का निदान हो जाने पर टिन्निटस का भी समाधान हो जाता है।
वर्टिगो (vertigo) या चक्कर आने की समस्या को उत्पन्न करने वाले विकारों से टिन्निटस को जोड़ा जा सकता है।
ऐसे लोगों को टिन्निटस होने का खतरा होता है जो लंबे समय तक शोरगुल भरे माहौल में काम करते हैं जैसे बड़ई (carpenter), शोर करने वाली मशीनों का उपयोग करने वाले मरम्मत कर्मी, रॉक संगीतकार, पायलट या अन्य ऐसे कर्मी जिनका संपर्क अचानक होने वाली आवाज़ों से होता है या जो शोरगुल भरे माहौल में लगातार काम करते हैं। उच्च स्वर के संगीत को लंबे समय तक सुनने वाले लोगों में एक अंतराल के बाद टिन्निटस विकसित हो सकता है।

कान बजने (टिनिटस) के प्रकार – Types of Ringing in ears (Tinnitus) in Hindi
टिनिटस (कान बजना) के प्रकार क्या है?
टिनिटस के दो प्रकार होते हैं:
- सबजेक्टिव टिनिटस –
वह टिनिटस है जिसे आप सुन सकते हैं। यह टिनिटस का सबसे सामान्य प्रकार है। यह आपको सुनाई देने के लिए जिम्मेदार नसों व ध्वनि को समझने वाले मस्तिष्क के भाग में हुई समस्याओं की वजह से होता है।
- ऑबजेक्टिव टिनिटस –
वह टिनिटस है जिसे डॉक्टर आपके कुछ परीक्षणों के आधार पर जान पाते हैं। दुर्लभ प्रकार का यह टिनिटस रक्त वाहिका व मध्य कान की हड्डी में उत्पन्न हुई समस्याओं के कारण होता है।
कान बजने (टिनिटस) के लक्षण – Ringing in ears (Tinnitus) Symptoms in Hindi
टिनिटिस (कान बजना) से जुड़े लक्षण क्या हैं?
- कान में तेजी से घंटियां बजना व तेज सिरदर्द, टिनिटस का एक सामान्य कारण होता है।
- कान में झनझनाहट व हवा जैसी तेज ध्वनि होना भी इस समस्या में महसूस होता है।
- आवाज की तीव्रता कभी तेज तो कभी धीमी हो जाती है।
- रात में सोने से पहले जब कोई बाहरी शोर सुनाई नहीं देता है, तब टिनिटस की समस्या होने लगती है।
- यह समस्या कई बार अपने आप होती, तो यह कई बार ठीक भी हो जाती है, जबकि यह लगातार भी बनी रह सकती है।
- गंभीर मामलों में, कानों में बजने वाला शोर इतना तेज होता है कि यह रोज की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करने लगता है।
उपचार…. किसी भी पेथी में कान की प्रॉब्लम का कोई पुख्ता उपचार नही है …
या तो सर्जरी कराइये या लंबे समय तक ट्रीटमेंट लेते रहिए।
लेकिन हमने अपने आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से कानों की बहरेपन से लेकर टिनिटस की प्रॉब्लम को एक कोर्स से ठीक किया है….
अब तक हजारो पेशेन्ट जो टिनिटस , बहरेपन , कान में सुराख होना आदि प्रॉब्लम से सालों से परेशान थे लेकिन हमारे आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से पूरी तरह ठीक हुए है।