पपीता खाने के फायदे तथा किन किन रोगों में लाभदायक सिद्ध होता हैं
पपीता …….
हानिकारक : गर्भावस्था के दौरान कच्चा या पका पपीता नहीं खाना चाहिए।
जिन स्त्रियों को मासिक-धर्म अधिक आता हो उन्हें भी पपीता नहीं खाना चाहिए। प्रमेह, कुष्ठ व अर्श (बवासीर) के रोगियों के लिए कच्चा पपीता हानिकारक होता है। पपीता के बीजो का सेवन करने से गर्भपात हो सकता है।
गुण …
पपीता आसानी से हजम होने वाला फल है। पपीता भूख व शक्ति को बढ़ाता है। यह प्लीहा (तिल्ली), यकृत (लीवर), पांडु (पीलिया)आदि रोग को समाप्त करता है। पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस सेवन करने से अम्लपित्त (खट्टी डकारें) बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है।
पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है। पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है।

पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है। कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभकारी होता है।पपीते के बीज कीड़े को नष्ट करने वाला और मासिक-धर्म को नियमित बनाने वाला होता है। पपीते का दूध दर्द को ठीक करताहै, कोढ़ को समाप्त करता है और स्तनों में दूध को बढ़ाता है।पपीते का चूर्ण सेवन करने से आमाशय की जलन, जख्म, अर्बुद व अपच दूर होता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग :
- स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए: पका पपीता खाने से या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से स्तनों में दूध बढ़ता है।
- दाद: पपीते का दूध निकालकर कुछ दिनों तक दाद पर लगाने सेदाद ठीक होता है।
- प्लीहा रोग: प्लीहा रोग से पीड़ित रोगी को पपीता का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे प्लीहा रोग ठीक होता है।
- यकृत (जिगर) रोग:यदि छोटे बच्चों के यकृत (जिगर) खराब रहता हो तो उसे प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए। पपीता यकृत (जिगर) को ताकत देता है। यह पेट के सभी रोगों को भी समाप्त करता है।पपीता और सेब खाने से बच्चों के जिगर की खराबी दूर होती है।
- कब्ज़:कच्चा पपीता या पका पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होतीहै।कब्ज से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह पपीते का दूध पीना चाहिए। इससे कब्ज दूर होकर पेट साफ होता है।खाना खाने के बाद पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।पपीते के दूध व अदरक के रस में 50 ग्राम अजवाइन मिलाकर छाया में सूखा लें। सूख जाने पर यह आधा चम्मच की मात्रा में भोजन के तुंरत बाद पानी से लें। इससे कब्ज दूर होती है। यह गैस बनना, गले व छाती की जलन, भूख का न लगना, गुदा की खुजली आदि को भी ठीक करता है।
- पेट के कीड़े: पपीते के 10 बीजों को पानी में पीसकर चौथाईकप पानी में मिलाकर लगभग 7 दिनों तक लगातार पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
- गर्भपात: पपीता खाने से गर्भपात हो जाता है। अत: गर्भावस्था में पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए।
- बच्चों के शारीरिक शक्ति व लम्बाई के लिए: जिन बच्चों की शारीरिक लम्बाई कम होती है या शरीर कमजोर होता है, उसे प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए।
- अपच: आधे चम्मच कच्चे पपीते का दूध चीनी के साथ प्रतिदिन लेने से अपच (भोजन का न पचना) दूर होता है।
- रक्तगुल्म (खून का जम जाना): प्रतिदिन शाम को आधा किलो पका पपीता खाने से रक्तगुल्म ठीक होता है।
- पुरानी खाज-खुजली: पपीते का दूध और सुहागा को उबलते पानी में डालकर खाज-खुजली पर लगाने से दाद-खुजली दूर होती है।
- नारू रोग: पपीते के पत्तों का रस अफीम में मिलाकर लेप करने से नारू शीघ्र ही बाहर निकल जाता है।
- हृदय का रोग:पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन पीने से हृदय का रोग ठीक होता है। इसके सेवन से घबराहट दूर होती है।बुखार में हृदय की कमजोर व नाड़ी का अधिक तेज चलने के रोग में पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए।पपीते के पत्ते को पानी में उबालकर उसके पानी को छानकर पीने से हृदय रोग में लाभदायक है।
- सौन्दर्य बढ़ाने के लिए:पके पपीते को छीलकर पीस लें और इसे चेहरे पर लगाएं। इसे लगाने के 15-20 मिनट के बाद जब यह सूख जाए तो चेहरे को पानी से धो लें और मोटे तौलिए से चेहरे को अच्छी तरह साफ करें। इसके बाद चेहरे पर तिल या नारियल का तेल लगाएं। इस तरह इसका उपयोग करने से 1 से 2 सप्ताह में ही चेहरे के दाग,धब्बे व मुंहासे ठीक हो जाते हैं और चेहरा सुन्दर बनता है।इससे चेहरे की झुर्रियां व काला घेरा आदि भी दूर होता है।युवतियों को अपनी कमर को सुन्दर व सुडौल बनाने के लिए प्रतिदिन कुछ महीने तक पपीता खाना चाहिए। इससे कमर पतली व सुडौल बनती है।

10 ग्राम पपीते का गूदा, 10 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच गुलाब जल एवं 10 मिलीलीटर टमाटर का रस मिलाकर चेहरे व शरीर के दूसरे अंगों पर लेप करें। लेप करने के 15 से 20 मिनट बाद हल्के गर्म पानी से साफ चेहरे को साफ कर लें। इस तरह कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से त्वचा कोमल, चिकनी व मुलायम बनती है।खून की कमी होने पर रोगी को प्रतिदिन पपीता खाना चाहिए। इससे पाचन क्रिया ठीक होता है और खून बनता है।
यदि प्रसव के बाद स्त्री के स्तनों में दूध न बनता हो तो उसे प्रतिदिन पपीते का सेवन करना चाहिए। इससे स्तनों में दूध बढ़ता है।लगभग 300 ग्राम पपीता प्रतिदिन खाने से मोटापा दूर होता है।चेहरे की त्वचा खुश्क व झुर्रिदार होने पर बचाव के लिए प्रतिदिन पपीता खाना चाहिए।चेहरे का रंग निखारने के लिए एक कप पपीते का रस व एक कप अमरूद का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों मे चेहरे पर चमक आ जाती है।
सभी त्वचा रोग में पपीते का रस, गाजर का रस और आधी मात्रा में पालक का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीने से त्वचा रोग ठीकहोता है।चेहरे के मुहांसे, कील, झाईयां आदि को दूर करने के लिए पके पपीते व आलू का रस मिलाकर दिन में 2-3 बार चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे के मुहांसे, कील व झाईयां दूर होती हैं।

- बवासीर रोग:बवासीर के मस्सों पर करीब एक महीने तक लगातार पपीते का दूधलगाने से मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।खूनी या बादी बवासीर में आधा किलो पपीता दिन में 2 बार खाने चाहिए। इससे दोनों प्रकार की बवासीर ठीक होता है।
- फीलपांव: पपीते के पत्तों को आग में गर्म करके फीलपांवपर दिन में 3 बार सिंकाई करने से फीलपांव ठीक होता है।
- मासिक-धर्म की गड़बड़ी: 100 मिलीलीटर पपीते के रस, 100 ग्राम गाजर का रस और 50 ग्राम अनन्नास का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मासिकधर्म सम्बंधी गड़बड़ी दूर होती है।
- अम्लपित्त (खट्टी डकारें): 250 ग्राम पके हुए पपीते को सेंधा नमक, कालीमिर्च व थोड़ा नींबू निचोड़कर दिन में 2 बार खाएं। इससे खट्टी डकारें बंद होती है। यह भोजन को पचाता है और भूख को बढ़ाता है।
- जोड़ों का दर्द: मांसपेशियों के दर्द और जोंड़ों के दर्द को दूर करने के लिए पपीते के पत्ते को गर्म करके चिकने भाग की तरफ से बांधना या सिंकाई करना चाहिए। इससे जोड़ों व मांसपेशियों का दर्द ठीक होता है।
- टांसिल होने पर: टांसिल बढ़ने तथा गले में दर्द होने पर 1 गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच पपीते का दूध मिलाकर गरारा करने से तुंरत आराम हो जाता है।
- तिल्ली (प्लीहा) के रोग:तिल्ली या प्लीहा बढ़ने पर पपीते का रस एक कप की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को देने से तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है।मलेरिया ज्वर में भी पपीते का रस या पपीता खाने से ज्वर (बुखार) के कारण होने वाली उल्टी आदि तुरंत बंद हो जाती है।पपीता का नियमित रूप से सेवन करने से तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है।कच्चे पपीते को बीच से इस तरह काटे कि उसमें 200 या 250 ग्राम सेंधा नमक भरा जा सके। इस तरह नमक भरे हुए पपीते को उसी टुकड़े से ढक दें और ऊपर से कपड़े की मिट्टी करें और फिर पपीते पर गोबरएक अंगुल मोटा लेप कर दें। इसके बाद इसे उपलों के आग के बीच रखकर पकाएं। जब उपले जल जाए तो पपीते को निकालकर पपीते के ऊपर से मिट्टी, गोबर हटाकर उसमें से नमक निकालकर महीने पीसकर रख लें। इस नमक को 5-6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम 3 सप्ताह तक सेवन कराएं। इससे तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है।