जानिए पित्त की पथरी क्या है व इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिसिन से उपचार

पित्त की पथरी/ गॉल ब्लैडर स्टोन….
पित्ताशय हमारे पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है! जो लीवर और छोटी आँत के बीच में एक पुल का काम करता है ! जब पित्त में उपस्थित कोलेस्ट्रॉल , बिलरुबिन जैसे पदार्थ पित्ताशय में एकत्रित होने लगते हैं , तो मिलकर एक कठोर पदार्थ का निर्माण करते है, यह पत्थर के समान होता है जिसे हम पित्ताशय की पथरी कहते है।

पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रोल जमने लगता है या फिर सख्त होने लगता है, तो हमें अक्सर पथरी की शिकायत हो जाती है। ऐसे में रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है और साथ में खाना पचने में भी दिक्कत आने लगती है।

लीवर और गॉल ब्लैडर के बीच बाइल डक्ट नामक एक छोटी-सी नली होती है, जिसके माध्यम से यह पित्त को गॉलब्लैडर तक पहुंचाता है। जब व्यक्ति के शरीर में भोजन जाता है तो यह ब्लैडर पित्त को पिचकारी की तरह खींच कर उसे छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में भेज देता है, जिसे डुओडेनियम कहा जाता है। इससे पाचन क्रिया की शुरुआत हो जाती है।

पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम को सुरक्षित रखने वाले महत्वपूर्ण अंग यानी पित्ताशय (pittashay)से जुड़ी सबसे प्रमुख समस्या यह कि इसमें स्टोन बनने की आशंका बहुत अधिक होती है, जिन्हें गॉलस्टोन कहा जाता है। दरअसल जब गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौजूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।

कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है। 80 प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रोल की बनी होती (गॉल ब्लैडर स्टोन) है। धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय (pittashay)के अंदर पत्थर का रूप ले लेती है। कोलेस्ट्रॉल स्टोन पीले-हरे रंग के होते हैं।

जब ब्लैडर में ब्लैक या ब्राउन कलर के स्टोन्स नजर आते हैं तो उन्हें पिगमेंट स्टोन्स कहा जाता है। कई बार गॉल ब्लैडर में अनकॉन्जुगेटेड बिलिरुबिन नामक तत्व का संग्रह होने लगता है तो इससे पिगमेंट स्टोन्स की समस्या होती है। गॉलब्लैडर में गड़बड़ी की वजह से कई बार पित्त बाइल डक्ट में जमा होने लगता है, इससे लोगों को जॉन्डिस भी हो सकता है। अगर आंतों में जाने के बजाय बाइल पैनक्रियाज़ में चला जाए तो इससे क्रॉनिक पैनक्रिएटाइटिस नामक गंभीर समस्या हो सकती है। अगर सही समय पर उपचार (pit ki pathri ka ilaj) न कराया जाए तो इससे गॉलब्लैडर में कैंसर भी हो सकता है।

पित्त में पथरी का बनना एक भयंकर पीड़ादायक रोग है। पित्त में कोलेस्ट्रॉल और पिग्मेंट नामक दो तरह की बनती है। लेकिन लगभग 80 प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती है। पित्त लिवर में बनता है और इसका संग्रह गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट युक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पथरी का निर्माण होता है।

पित्ताशय में पथरी बनने के कारण….

पित्ताशय में पथरी बनने के कारणों की बात करें तो कई कारण हैं! जिसकी वजह से पित्ताशय में पथरी बनती है!

1 अधिक मोटापा

2 जंकफूड का अत्यधिक प्रयोग

3 अनियमित जीवन शैली

4 वंश परंपरागत

5 असंतुलित खानपान

6 गर्भनिरोधक गोलियों को इस्तेमाल करने वाली महिलाओं को पित्ताशय में पथरी बनने का खतरा ज्यादा रहता है!

पित्ताशय में पथरी होने के लक्षण….

1 . पेट के दाहिनी तरफ के ऊपरी भाग में अचानक असहनीय दर्द शुरू हो जाना

  1. पित्त की थैली में पथरी होने स् की स्थिति में शरीर की त्वचा या आंखों का पीला होना भी एक लक्षण है!
  2. कमजोरी होना!
  3. बदहजमी हो ना!
  4. बार – बार खट्टा पानी मुंह में आना!

उपचार ….

डॉक्टर सिर्फ सर्जरी की ही सलाह देते हैं! लेकिन सर्जरी ही पित्ताशय की पथरी का आखरी ऑप्शन नहीं है!

इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में पित्ताशय की पथरी का बहुत सरल इलाज है।