क्रिएटिनिन की अधिकता से किडनी डैमेज होती है जानिए शरीर में कितना होना चाहिए क्रिएटिनिन लेवल
क्रिएटिनिन क्या है.?
इसकी अधिकता से किडनी क्यों डैमेज होने लगती है.?
जानिए शरीर में कितना होना चाहिए क्रिएटिनिन लेवल…
क्रिएटिनिन हमारे शरीर का एक ऐसा उत्पाद है जो ज्यादातर मांसपेशियों के टूटने से बनता है।
बता दें कि हर किसी के खून में क्रिएटिनिन की होता है।
बता दें हमारे शरीर में ज्यादातर क्रिएटिनिन को ब्लड सर्कुलेशन को किडनी के जरिये फिल्टर किया जाता है।
हमारे खून में क्रिएटिनिन की मात्रा स्थिर रहती है।

क्रिएटिनिन का बढ़ा हुआ स्तर किडनी को खराब कर देता है।
यह एक नेचुरल रसायन होता है।
क्रिएटिनिन का स्तर शरीर में कम होना चाहिए।
क्रिएटिनिन लेवल कितना होना चाहिए.?

बढ़ा हुआ क्रिएटिनिन सीधा किडनी पर असर करता है।
हर किसी के शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर अलग-अलग होता है।
पुरुषों में 0.6 से लेकर 1.2 मिलीग्राम होता है।
महिलाओं में 0.5 से 1.0 मिलीग्राम
किशोर की बात करें तो उनमें 0.5 से लेकर 1.0 मिलीग्राम क्रिएटिनिन का स्तर होना जरूरी है।
बच्चों में 0.3 से 0.7 मिलीग्राम क्रिएटिनिन का स्तर होना जरूरी है ।
इन 5 बीमारी वाले लोगों को रहता है ज्यादा खतरा…
अगर आपको
1. डायबिटीज,
2. हाई ब्लड प्रेशर और
3. इम्युनिटी हद से ज्यादा कमजोर है।
4. और पहले कभी किडनी से जुड़ी कोई बीमारी हो चुकी है।
5. या फिर शरीर में ऑटोइम्यून विकार है।

क्रिएटिनिन कम कैसे करे?
आयुर्वेद के ज्ञानियों का कहना है कि क्रिएटनीन लेवल ज्यादा बढ़ने से किडनी से रक्त की सफाई बंद हो जाती है फिर इसके लिए डायलिसिस की प्रक्रिया से गुजरना होता है।
बहुत सारे किडनी रोगियों को प्रति सप्ताह डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है डायलिसिस कराने का अर्थ यह है कि खून की सफाई कराना। खून की सफाई मशीनों द्वारा की जाती है इसे डायलिसिस कहते हैं यह प्रक्रिया काफी खर्चीली और तकलीफ देह होती है।

….. इन सभी परेशानियों से बचने के लिए शारीरिक श्रम ज्यादा से ज्यादा करें इस तरह से ब्लड सर्क्युलेशन भी सही रहेगा। लेकिन इसके बाद भी अगर क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ता है, तो आयुर्वेदिक दवा और उपचारों की मदद से इसे कम करने की सलाह देते हैं, क्योंकि अंग्रेजी दवाइयों में क्रिएटनीन लेबल कम करने की कोई भी दवा नहीं है। आयुर्वेद पद्धति से आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा उपचार करने से ही यह जल्द ही लेवल में आ जाता है।
विशेष सावधानियां
1. कम करें प्रोटीन का सेवन
पोषक तत्वों में प्रोटीन सबसे महत्वपूर्ण तत्व होता है। लेकिन जरूरत से ज्यादा प्रोटीन का सेवन क्रिएटिनिन के स्तर को बढ़ा सकता है।
2. ज्यादा से ज्यादा लें फाइबर
फाइबर हमारे पेट के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इससे पाचन बेहतर बना रहता है। शोधकर्ताओं की मानें तो फाइबर का ज्यादा सेवन करने से बढ़े हुए क्रिएटिनिन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

3. ज्यादा से ज्यादा पिएं पानी
क्योंकि जरूरत से कम पानी पीने से शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर बढने लगता है!
4. कम कर दें नमक का सेवन
ज्यादा नमक सेवन करने से हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो जाती है। जो सीधा किडनी पर असर करती है।
किडनी रोगियों के लिए इलेक्ट्रो होमेओपेथी मेडिसिन की चिकित्सा एक अच्छा विकल्प हो सकता है जिसमें आप इलेक्ट्रो होमेओपेथी चिकित्सा केंद्र में जाकर उपचार ले सकते हैं।