क्या है कोलेस्टेरोल..? कोलेस्ट्रॉल के प्रकार, कारण , लक्षण व उपचार
कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) एक चिपचिपा लिक्विड होता है जो हमारे ब्लड में होता है। यह ब्लड प्लाजमा के द्वारा ट्रांसपोर्ट होता है। हमारे शरीर में 2 तरह का कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) होता है। पहला लो डेंसिटी लिपोप्रोटींस यानी HDL इसे गुड कोलेस्ट्रॉल (Good Cholesterol) भी कहते हैं और दूसरा होता है बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol), जिसे खराब कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं। जो बैड कोलेस्ट्रॉल होता है वह आर्टरिज़ में जमा हो सकता है, जिससे कई खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अक्सर लोगों को यह नहीं पता होता कि उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना चाहिए और उन्हें कितने समय बाद चेक कराते रहना चाहिए। तो आइए जानते हैं विस्तार से-

●कोल+ऐस्टेरोल●
कोल यानी कि “पित्त जैसा पीला रंग” का और “स्टेरोल” यानी के “मोम जैसा कडक पदार्थ”।
कोलेस्टेरोल मगज, करोडरज्जु, ऐड्रीनल ग्लेन्ड, लीवर वगैरह मे होता है।
गंध रहित, स्वाद रहित, यह स्फटिकरूप रचना है।
यह पदार्थ 149°C तापमान पर पिघलता है।
कोलेस्टेरोल के प्रकार
कोलेस्ट्रॉल आपके रक्त के माध्यम से, प्रोटीन से जुड़ा होता है। प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल के इस संयोजन को लिपोप्रोटीन (lipoprotein) कहा जाता है। कोलेस्ट्रॉल के मुख्य 2 प्रकार होते हैं, जो लिपोप्रोटीन के आधार पर होते है। वो निम्न हैं

(1) H.D.L.
- हाई डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है।इसका उत्पादन भी यकृत ही से होता है।जो कोलेस्ट्रॉल और पित्त को ऊतकों और इंद्रियों से पुनष्चक्रित करने के बाद वापस लिवर में पहुंचाता है।
- एच डी एल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का अधिक होना एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे हृदय के स्वस्थ होने का पता चलता है।
- एच डी एल कोलेस्ट्रॉल का स्तर ६० मिली ग्राम/डीएल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(2) L.D.L.
- इसे हम बुरा कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जानते है इसका निर्माण भी लिवर मैं होता है।इसका कार्य वसा को लीवर से शरीर के अन्य भागों मांशपेशियों, ह्रदय, तथा इंद्रियों तक पहुचाना है।
- इसकी अधिक मात्रा से यह रक्त की नलियों मैं जमना शुरू हो जाता है और नली के छिद्र को बंद कर देता है जिससे की हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है ।
- इसके बढ़ने से यह हदय तथा दिमाग तक रक्त पहुचाने वाली धमनियों मैं जमा हो जाता है जिससे की हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
- LDL कोलेस्ट्रॉल(बुरा कॉलिस्ट्रोल) की मात्रा हमारे शरीर मे 100 mg/dL से कम होना चाहिए।
(3) V.L.D.L
- (वेरी लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) शरीर में लिवर से ऊतकों और इंद्रियों के बीच कोलेस्ट्रॉल को ले जाता है।
- वी एल डी एल कोलेस्ट्रॉल, एल डी एल कोलेस्ट्रॉल से ज्यादा हानिकारक होता है। यह हृदय रोगों का कारण बनता है।
HDL बोडी के लिऐ अच्छा काम करता है जो कोशकीय दीवार, ऐड्रीनल ग्लैंड, दिमाग, ज्ञान तंतु, हार्मोन्स एवं चरबी को पचानेवाला पित्त बनाता है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण
अन – हेल्थी डाइट
अगर हमारे शरीर मैं संतृप्त वसा का पूरा इस्तेमाल होता है तो भी कोलेस्ट्रॉल पैदा हो सकता है। संतृप्त वसा ऐसे भोजन में पाई जाती है जिनमें कोलेस्ट्रॉल और फैट की मात्रा ज्यादा होती है। जैसे लाल फैटी मांस, मक्खन, पनीर, केक, घी आदि । इनको ज्यादा खाने से बचें और इस प्रकार के ज्यादा वसा वाले पदार्थों का सेवन कम करें।
वंशानुगत
आपके परिवार में यफी किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही हो तो यह आपके लिए भी चिंता का कारण है। यह आनुवंशिक हाई कोलेस्ट्रॉल भी पूर्व ब्लॉकेज और स्ट्रोक का कारण बनता है।
ज्यादा आलसीपन
जो लोग अपना पूरा दिन बैठे रहने मैं और लेटने में बिताते हैं तो उनमें भी हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा ज्यादा होता है। एक एक्टिव लाइफ ट्राइग्लिसराइड्स को कम कर आपको अपना वजन संतुलित रखने में मदद करती है।
शराब का अधिक सेवन
ज्यादा शराब का सेवन करने से लीवर और हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान पहुँच सकता है जो कि हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढाता है।
धूम्रपान
ज्यादा धूम्रपान कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाने का एक मुख्य कारण है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल(HDL) को कम करते हुए आपकी उम्र को कम करती है।
ज्यादा तनाव मैं रहना
जब लोग अधिक तनाव महसूस करते है तो अपने आपको तसल्ली देने के लिए स्मोकिंग, शराब का सेवन और फैटी खाने का सेवन करते हैं। इसलिए लम्बे समय तक तनाव ब्लड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का कारण बनता है।
अधिक मोटापा
मोटापा या थोडा ज्यादा वजन का होना भी हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण है। इसके अतिरिक्त यह आपकी सोशल लाइफ को ख़त्म करते हुए यह ट्राइग्लिसराइड्स को भी बढ़ा देता है जो की आगे जाकर ब्लॉकेज का कारण बनता है। इसलिए, हाई कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम करने के लिए अपने वजन को नियमित रखना जरूरी है।
खराब कोलेस्टेरोल बढ़ने से होने वाले रोग

रुधिर की नलिकाओं का कड़ापन बढ जाता है।
● ऐथेरोस्केलेरोसीस हो सकता है जिससे बीपी बढता है।
● ह्दय रोग भी हो सकता है़।
● हार्ट अटैक, पैरालिसिस, स्ट्रोक वगैरह हो सकता है।
आहार उपचार

● रोज के आहार मे गाजर, लहसून, अदरक, अंगूर, आंवला, ग्रीन टी, हींग का प्रयोग करना चाहिये।
● ऑलिव आयल फायदाकारक है़।