बेरी बेरी रोग
बेरी बेरी रोग….
यह रोग विटामिन B1 (थायमीन) की कमी से होता है।
यह हमारे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है, जिसकी वजह से इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है।
इससे दिल कमजोर होता है ,और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इससे हार्ट फेल की नौबत भी आ जाती है।
यह बीमारी सीधे-सीधे कुपोषण से जुड़ी है , यानी शरीर में विटामिन बी-1 नहीं होगा तो यह रोग हो जायेगा।

जो लोग केवल सफेद चावल, सफेद ब्रेड, मैदा आदि का सेवन करते है ।
उन्हें यह रोग होने की अधिक संभावना होती है |
एजमेन ने देखा कि बेरी बेरी रोग उन्हीं व्यक्तियों को होता है जो कि पोलिश्ड चावल (छिलके के नीचे का पतला, लाल छिलका हटाया हुआ चावल) खाते थे।
बेरी बेरी बीमारी के लक्षण….
बेरी बेरी के लक्षणों में शामिल है ।भूख में कमी, शारीरिक क्षमता में कमी, धीमा शारीरिक विकास, तंत्रिकाओं का क्षय, मांस पेशियों में खिंचाव, लकवा, कमजोर हृदय गति, इसके अतिरिक्त भूख में कमी, थकावट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, स्मरण शक्ति कम होना, हाथ पैरों में सूई जैसी चुभन होना और मानसिक योग्यता का कम होना |
बेरी बेरी रोग दो प्रकार का होता हैं।
शैशव बेरी बेरी
वयस्क बेरी बेरी
शैशव बैरी-बेरी (Infantile Beri-Beri)…
यह रोग एक से चार महीनो के बच्चों में अधिक होता हैं। यह उन बच्चों में अधिक पाया जाता है, जिनकी माता के आहार में गर्भावस्था या स्तनपान अवस्था में विटामिन B की कमी रहती है।

इसमें बच्चों में ये लक्षण दिखाई देते हैं…
कब्ज़, उलटी, दस्त
हाथ, पैरों या चेहरे में जल जमाव से सूजन ,बच्चा रोता है, पर आवाज नहीं आती, हृदय का आकार बढ़ जाता है।
साँस लेने में कठिनाई होने पर बच्चा नीला पड़ जाता है |
वयस्क बेरी बेरी (Adult Beri-Beri)…..
इस अवस्था में शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं।
मांसपेशियाँ कमज़ोर, सूखी तथा सख्त हो जाती हैं।
त्वचा में संवेदनशीलता कम होने के कारण रोगी उठ बैठ नहीं पाता, हाथ पाँव लटक जाते हैं।
तथा लकवे की संभावना बढ़ जाती है।
शरीर की कोशिकाओं में जल-जमाव के कारण सूजन आ जाती है, साँस लेने में कष्ट होता हैं।
हृदय कमज़ोर हो जाता है।
हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, जिससे कभी-कभी हृदय की धड़कन बंद हो जाती है।
विटामिन बी की मात्रा भोजन में ली जाने वाली कैलोरीज पर निर्भर करती हैं। विटामिन B राइबोफ्लेविन पानी में घुलनशील विटामिन है। जो अम्ल, गर्मी तथा वायु के प्रति स्थिर है।
सूरज की पराबैंगनी किरणों तथा तेज धूप में यह खत्म हो जाता है।
यह शरीर में बहुत कम मात्रा में इकट्ठा हो पाता है, इसलिए दैनिक आहार में इसे लेना बहुत जरुरी है।
खास बात:-
हमारा शरीर विटामिन बी-1 को पैदा नहीं करता, यह विटामिन शरीर में बाहर से ही जाता है। शरीर में जाकर यह विटामिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में हृदय, किडनी, लिवर, मस्तिष्क और कंकाल-तंत्र से जुड़ी मांसपेशियों में जमा होता है।
यदि यह विटामिन शरीर को बाहर से न मिले तो एक महीने में पूरे शरीर का थियामाइन खत्म हो जाता है , और व्यक्ति को बेरी बेरी की बीमारी हो जाती है ।
चूंकि यह पानी में घुलनशील है, इसलिए यदि शरीर में ज्यादा पहुंच भी जाता है तो पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है।

उपचार:-
विटामिन बी 1 सभी वनस्पति और मांसाहार में पाया जाता है। केवल चीनी, वसा और तेल में नहीं होता है।
खमीर, चावल और गेहूँ की ऊपरी परत थायमीन के सबसे अच्छे स्रोत हैं। इसलिए बेरी बेरी रोग से बचने के लिए इनका सेवन जरुर करें |
अंकुरित दालें, मूंगफली, सूखी फलियाँ आदि में भी यह विटामिन काफी मात्रा में होता है।
ज्यादातर अनाजों और दालों में विटामिन बी-1 होता है।
खास तौर से इनकी बाहरी त्वचा में।
इसका मतलब यह हुआ कि रिफाइंड यानी पॉलिश्ड अनाज में विटामिन बी का अभाव हो जाता है। इसीलिए जो लोग केवल सफेद चावल, सफेद ब्रेड, मैदा आदि पर निर्भर रहते हैं, उनमें भी बेरी बेरी रोग पनप सकता है।
इसलिए हमेशा साबुत अनाज का आटा, दलिया, होल ग्रेन ब्रेड, ब्राउन राइस और साबुत दालों का सेवन करना चाहिए।
सब्जियों में आलू, मटर और हरी सब्जियां लें …
आलू, मटर और सभी हरी सब्जियों में विटामिन बी-1 अच्छी मात्रा में पाया जाता है, लिहाजा इन्हें नियमित रूप से अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।

मांस, अंडा और मछली में भी है विटामिन बी-1 ..
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मांसाहारियों के पास मांस, अंडा, मछली और सी फूड के रूप में विटामिन बी-1 पाने का अतिरिक्त विकल्प मौजूद है। इन पदार्थों में भी काफी मात्रा में यह विटामिन पाया जाता है।
इनमें भी है विटामिन बी-1 …
नट्स (बादाम, अखरोट, मूंगफली), सूरजमुखी के बीज, सोयाबीन में भी विटामिन बी 1 अच्छी मात्रा में होता है।
बेरी बेरी रोग में ये फल भी खाएं ..
वैसे तो सभी फलों में विटामिन बी-1 की थोड़ी-बहुत मात्रा होती ही है, मगर खट्टे फलों (संतरा, नींबू) में यह ठीक ठाक मात्रा में पाया जाता है।
बेरी बेरी में परहेज …..
ज्यादा शराब पीने वाले लोगों में भी उनके खान-पान की लापरवाही और विटामिन बी के शरीर में कमजोर अवशोषण के कारण बेरी बेरी रोग पनप सकता है।
सुपारी, चाय और कॉफी भी हानिकारक है । सुपारी, चाय और कॉफी में थियामाइन विरोधी गुण पाए गए हैं, इसलिए इनका ज्यादा सेवन और अन्य जरूरी पोषक तत्वों के कम सेवन से भी बेरी बेरी रोग पनप सकता है।
जंक फूड भी नुकसान करेगा चिप्स, कैंडी, सोडा, पिज्जा, नूडल्स, बर्गर और मैदे से बना उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन शरीर में थियामाइन की कमी पैदा करता है, इसलिए ऐसे भोजन से भी बचना चाहिए।