हमारे वेदों के अनुसार प्राकृतिक उपायों से निरोगी एवं स्वस्थ रहने के 15 नियम

1- खाना खाने के 1.30 घंटे बाद पानी पीना है।


2- पानी घूँट घूँट करके पीना है जिस से अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके, पेट में एसिड बनता है और मुँह में छार, दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आएगा।


3- पानी कभी भी ठंडा (फ़्रीज़ का)नहीं पीना है।


4- सुबह उठते ही बिना क़ुल्ला किए तीन ग्लास पानी पीना है, रात भर जो अपने मुँह में लार है वो अमूल्य है उसको पेट में ही जाना ही  चाहिए

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5- खाना, जितने आपके मुँह में दाँत है उतनी बार ही चबाना  है।


6- खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा या उखड़ूँ बैठकर ही भोजन करे।


7- खाने के मेन्यू में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ ना करे जैसे दूध के साथ दही, प्याज़ के साथ दूध, दही के साथ उड़द दल।


8- समुद्री नमक की जगह सेंधा नमक या काला नमक खाना चाहिए।

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9- रिफाइंड तेल और डालडा ज़हर है इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों, तिल, मूँगफली, नारियल का तेल उपयोग में लाए। सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना ले इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर पचा सकते है, आदमी में इसके पचाने के एंज़िम नहीं बनते है।


10- दोपहर के भोजन के बाद कम से कम 30 मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद 500 क़दम पैदल चलना चाहिए।

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11- घर में चीनी (शुगर) का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में 17 तरह के ज़हर (केमिकल) मिलाने पड़ते है इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आजकल गुड बनाने में कॉस्टिक सोडा (ज़हर) मिलाकर गुड़ को सफ़ेद किया जाता है इसलिए सफ़ेद गुड़ ना खाए। प्राकृतिक गुड़ ही खाये। और प्राकृतिक गुड़ चोकलेट कलर का होता है।


12- सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए


13- घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन, कुकर नहीं होना चाहिए। हमारे बर्तन मिट्टी, पीतल लोहा, काँसा के होने चाहिए।


14- दोपहर का भोजन 11 बजे तक अवम शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए

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15- सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंधा नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर) पीना चाहिए।