एलर्जी का ऐसे करें घर बैठे आसानी से उपचार, इन चीजों का सेवन करने से बचें

एलर्जी एक आम शब्द है जिसका प्रयोग हम कभी ‘किसी ख़ास व्यक्ति से मुझे एलर्जी है’ के रूप में करते हैं।
ऐसे ही हमारा शरीर भी ख़ास रसायन उद्दीपकों के प्रति अपनी असहज प्रतिक्रया को ‘एलर्जी’ के रूप में दर्शाता है.!

बारिश के बाद आयी धूप तो ऐसे रोगियों क़ी स्थिति को और भी दूभर कर देती है।
ऐसे लोगों को अक्सर अपने चेहरे पर रूमाल लगाए देखा जा सकता है।
क्या करें छींक के मारे बुरा हाल जो हो जाता है.!

इम्यूनिटी सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता ) क्या है ?इसे बढ़ाने के क्या हैं उपाय पूरी जानकारी (👈👈इसे भी जरूर पढ़ें)



हालांकि एलर्जी के कारणों को जानना कठिन होता है, परन्तु कुछ आयुर्वेदिक उपाय इसे दूर करने में कारगर हो सकते हैं।



आप इन्हें अपनाएं और एलर्जी से निजात पाएं.!



• ●नीम चढी गिलोय के डंठल को छोटे टुकड़ों में काटकर इसका रस हरिद्रा खंड चूर्ण के साथ 1.5 से तीन ग्राम नियमित प्रयोग पुरानी से पुरानी एलर्जी में रामबाण औषधि है.!



• ●गुनगुने निम्बू पानी का प्रातःकाल नियमित प्रयोग शरीर सें विटामिन-सी की मात्रा की पूर्ति कर एलर्जी के कारण होने वाले नजला जुकाम जैसे लक्षणों को दूर करता है.!



• ●अदरख, काली मिर्च, तुलसी के चार पत्ते, लौंग एवं मिश्री को मिलाकर बनायी गयी ‘हर्बल चाय’ एलर्जी से निजात दिलाती है.!



• ●बरसात के मौसम में होनेवाले विषाणु (वायरस) संक्रमण के कारण ‘फ्लू’ जनित लक्षणों को नियमित ताजे चार नीम के पत्तों को चबा कर दूर किया जा सकता है।



• ●आयुर्वेदिक दवाई● ‘सितोपलादि चूर्ण’ एलर्जी के रोगियों में चमत्कारिक प्रभाव दर्शाती है.!



• ●नमक पानी से ‘कुंजल क्रिया’ एवं ‘नेती क्रिया’ कफ दोष को बाहर निकालकर पुराने से पुराने एलर्जी को दूर कने में मददगार होती है.!



• ●पंचकर्म की प्रक्रिया●


‘नस्य’ का चिकित्सक के परामर्श से प्रयोग ‘एलर्जी’ से बचाव ही नहीं इसकी सफल चिकित्सा है.!



• ●प्राणायाम में ‘कपालभारती’ का नियमित प्रयोग एलर्जी से मुक्ति का सरल उपाय है.!



कुछ सावधानियां जिन्हें अपनाकर आप एलर्जी से खुद को दूर रख सकते हैं:-



• ●धूल, धुआं एवं फूलों के परागकण आदि के संपर्क से बचाव.!


• ●अत्यधिक ठंडी एवं गर्म चीजों के सेवन से बचना.!



• ●कुछ आधुनिक दवाओं जैसे: एस्पिरीन, निमासूलाइड आदि का सेवन सावधानी से करना.!

गले की खराश में प्राकृतिक तरीके एवम सही इस्तेमाल (👈👈इसे भी जरूर पढ़ें)



• ●खटाई एवं अचार के नियमित सेवन से बचना.!



हल्दी से बनी आयुर्वेदिक औषधि


‘हरिद्रा खंड’ के सेवन से शीतपित्त, खुजली, एलर्जी, और चर्म रोग नष्ट होकर देह में सुन्दरता आ जाती हे।
बाज़ार में यह औषधि सूखे चूर्ण के रूप में मिलती हे।
इसे खाने के लिए मीठे दूध का प्रयोग अच्छा होता हे।
परन्तु शास्त्र विधि में इसको निम्न प्रकार से घर पर बना कर खाया जाये तो अधिक गुणकारी रहता है।


बाज़ार में इस विधि से बना कर चूँकि अधिक दिन तक नहीं रखा जा सकता, इसलिए नहीं मिलता है।
घर पर बनी इस विधि बना हरिद्रा खंड अधिक गुणकारी और स्वादिष्ट होता है।


अनुभव है कि कई सालों से चलती आ रही एलर्जी या स्किन में अचानक उठाने वाले चकत्ते, खुजली इसके दो तीन माह के सेवन से हमेशा के लिए ठीक हो जाती है।

मल्टीग्रेन आटे में छिपा है सेहत का खजाना घर पर कैसे करें तैयार, (👈👈इसे भी जरूर पढ़ें)


इस प्रकार के रोगियों को यह बनवा कर जरुर खाना चाहिए और अपने मित्रो को भी बताना चाहिए।
यह हानि रहित निरापद बच्चे बूढ़े सभी को खा सकने योग्य है।
जो नहीं बना सकते हैँ या शुगर के मरीज, कुछ कम गुणकारी चूर्ण रूप में जो कि बाज़ार में उपलब्ध हैँ, का सेवन कर सकते हैँ।



हरिद्रा खंड निर्माण विधि


●सामग्री●
हरिद्रा – 320ग्राम,
गाय का घी -240ग्राम,
दूध – 5 किलो,
शक्कर – 2 किलो..!



सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, तेजपत्र, छोटी इलायची, दालचीनी, वायविडंग, निशोथ, हरड, बहेड़ा, आंवले, नागकेशर, नागरमोथा, और लोह भस्म.!
प्रत्येक 40-40 ग्राम
(यह सभी आयुर्वेदिक औषधि विक्रेताओ से मिल जाएँगी)
आप यदि अधिक नहीं बनाना चाहते तो हर वस्तु अनुपात रूप से कम की जा सकती है।

कोरोना के तीसरे स्ट्रेन से बच्चों को बचाने अभी से करे तैयारी, इलेक्ट्रो होम्योपैथी और अन्य घरेलू नुस्खे से ऐसे बढ़ाई जा सकती है बच्चों की इम्यूनिटी


(यदि हल्दी ताजी मिल सके तो 1 किलो 250 ग्राम लेकर छीलकर मिक्सर से पीस कर काम में लें)

बनाने की विधि


● हल्दी को दूध में मिलाकार खोया या मावा बनाये,
● इस खोये को घी डालकर धीमी आंच पर भूने,
● भुनने के बाद इसमें शक्कर मिलाये.!
● शक्कर गलने पर शेष औषधियों का कपडछान बारीक़ चूर्ण मिला दें।
● अच्छी तरह से पाक जाने पर चक्की या लड्डू बना लें।



सेवन की मात्रा


20-25 ग्राम दो बार दूध के साथ।
(बाज़ार में मिलने वाला हरिद्रा खंड चूर्ण के रूप में मिलता हे इसमें घी और दूध नहीं होता।
शकर कम या नहीं होती, अत: खाने की मात्रा भी कम 3 से 5 ग्राम दो बार रहेगी)

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *